• 1. वह घड़ी निकट और लगी और चाँद फट गया;
  • 2. किन्तु हाल यह है कि यदि वे कोई निशानी देख भी लें तो टाल जाएँगे और कहेंगे, "यह तो जादू है, पहले से चला आ रहा है!"
  • 3. उन्होंने झुठलाया और अपनी इच्छाओं का अनुसरण किया; किन्तु हर मामले के लिए एक नियत अवधि है।
  • 4. उनके पास अतीत को ऐसी खबरें आ चुकी है, जिनमें ताड़ना अर्थात पूर्णतः तत्वदर्शीता है।
  • 5. किन्तु चेतावनियाँ उनके कुछ काम नहीं आ रही है! -
  • 6. अतः उनसे रुख़ फेर लो - जिस दिन पुकारनेवाला एक अत्यन्त अप्रिय चीज़ की ओर पुकारेगा;
  • 7. वे अपनी झुकी हुई निगाहों के साथ अपनी क्रबों से निकल रहे होंगे, मानो वे बिखरी हुई टिड्डियाँ है;
  • 8. दौड़ पड़ने को पुकारनेवाले की ओर। इनकार करनेवाले कहेंगे, "यह तो एक कठिन दिन है!"
  • 9. उनसे पहले नूह की क़ौम ने भी झुठलाया। उन्होंने हमारे बन्दे को झूठा ठहराया और कहा, "यह तो दीवाना है!" और वह बुरी तरह झिड़का गया
  • 10. अन्त में उसने अपने रब को पुकारा कि "मैं दबा हुआ हूँ। अब तू बदला ले।"
  • 11. तब हमने मूसलाधार बरसते हुए पानी से आकाश के द्वार खोल दिए;
  • 12. और धरती को प्रवाहित स्रोतों में परिवर्तित कर दिया, और सारा पानी उस काम के लिए मिल गया जो नियत हो चुका था
  • 13. और हमने उसे एक तख़्तों और कीलोंवाली (नौका) पर सवार किया,
  • 14. जो हमारी निगाहों के सामने चल रही थी - यह बदला था उस व्यक्ति के लिए जिसकी क़द्र नहीं की गई।
  • 15. हमने उसे एक निशानी बनाकर छोड़ दिया; फिर क्या कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
  • 16. फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
  • 17. और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत करनेवाला?
  • 18. आद ने भी झुठलाया, फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरा डराना?
  • 19. निश्चय ही हमने एक निरन्तर अशुभ दिन में तेज़ प्रचंड ठंडी हवा भेजी, उसे उनपर मुसल्लत कर दिया, तो वह लोगों को उखाड़ फेंक रही थी
  • 20. मानो वे उखड़े खजूर के तने हो
  • 21. फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
  • 22. और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
  • 23. समूद ने चेतावनियों को झुठलाया;
  • 24. और कहने लगे, "एक अकेला आदमी, जो हम ही में से है, क्या हम उसके पीछे चलेंगे? तब तो वास्तव में हम गुमराही और दीवानापन में पड़ गए!
  • 25. "क्या हमारे बीच उसी पर अनुस्मृति उतारी है? नहीं, बल्कि वह तो परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है।"
  • 26. "कल को ही वे जान लेंगे कि कौन परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है।
  • 27. हम ऊँटनी को उनके लिए परीक्षा के रूप में भेज रहे है। अतः तुम उन्हें देखते जाओ और धैर्य से काम लो
  • 28. "और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। हर एक पीने की बारी पर बारीवाला उपस्थित होगा।"
  • 29. अन्ततः उन्होंने अपने साथी को पुकारा, तो उसने ज़िम्मा लिया फिर उसने उसकी कूचें काट दी
  • 30. फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
  • 31. हमने उनपर एक धमाका छोड़ा, फिर वे बाड़ लगानेवाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह चूरा होकर रह गए
  • 32. हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
  • 33. लूत की क़ौम ने भी चेतावनियों को झुठलाया
  • 34. हमने लूत के घरवालों के सिवा उनपर पथराव करनेवाली तेज़ वायु भेजी।
  • 35. हमने अपनी विशेष अनुकम्पा से प्रातःकाल उन्हें बचा लिया। हम इसी तरह उस व्यक्ति को बदला देते है जो कृतज्ञता दिखाए
  • 36. उसने जो उन्हें हमारी पकड़ से सावधान कर दिया था। किन्तु वे चेतावनियों के विषय में संदेह करते रहे
  • 37. उन्होंने उसे फुसलाकर उसके पास से उसके अतिथियों को बलाना चाहा। अन्ततः हमने उसकी आँखें मेट दीं, "लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!"
  • 38. सुबह सवेरे ही एक अटल यातना उनपर आ पहुँची,
  • 39. "लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!"
  • 40. और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
  • 41. और फ़िरऔनियों के पास चेतावनियाँ आई;
  • 42. उन्होंने हमारी सारी निशानियों को झुठला दिया। अन्ततः हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार एक ज़बरदस्त प्रभुत्वशाली पकड़ता है
  • 43. क्या तुम्हारे काफ़िर कुछ उन लोगो से अच्छे है या किताबों में तुम्हारे लिए कोई छुटकारा लिखा हुआ है?
  • 44. या वे कहते है, "और हम मुक़ाबले की शक्ति रखनेवाले एक जत्था है?"
  • 45. शीघ्र ही वह जत्था पराजित होकर रहेगा और वे पीठ दिखा जाएँगे
  • 46. नहीं, बल्कि वह घड़ी है, जिसका समय उनके लिए नियत है और वह बड़ी आपदावाली और कटु घड़ी है!
  • 47. निस्संदेह, अपराधी लोग गुमराही और दीवानेपन में पड़े हुए है
  • 48. जिस दिन वे अपने मुँह के बल आग में घसीटे जाएँगे, "चखो मज़ा आग की लपट का!"
  • 49. निश्चय ही हमने हर चीज़ एक अंदाज़े के साथ पैदा की है
  • 50. और हमारा आदेश (और काम) तो बस एक दम की बात होती है जैसे आँख का झपकना
  • 51. और हम तुम्हारे जैसे लोगों को विनष्ट कर चुके है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
  • 52. जो कुछ उन्होंने किया है, वह पन्नों में अंकित है
  • 53. और हर छोटी और बड़ी चीज़ लिखित है
  • 54. निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ो और नहरों के बीच होंगे,
  • 55. प्रतिष्ठित स्थान पर, प्रभुत्वशाली सम्राट के निकट
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