HARUN YAHYA
Hindi / हिन्दी
HI
क़ुरान
अज़-ज़ारियात
1. गवाह है (हवाएँ) जो गर्द-ग़ुबार उड़ाती फिरती है;
2. फिर बोझ उठाती है;
3. फिर नरमी से चलती है;
4. फिर मामले को अलग-अलग करती है;
5. निश्चय ही तुमसे जिस चीज़ का वादा किया जाता है, वह सत्य है;
6. और (कर्मों का) बदला अवश्य सामने आकर रहेगा
7. गवाह है धारियोंवाला आकाश।
8. निश्चय ही तुम उस बात में पड़े हुए हो जिनमें कथन भिन्न-भिन्न है
9. इसमें कोई सरफिरा ही विमुख होता है
10. मारे जाएँ अटकल दौड़ानेवाले;
11. जो ग़फ़लत में पड़े हुए हैं भूले हुए
12. पूछते है, "बदले का दिन कब आएगा?"
13. जिस दिन वे आग पर तपाए जाएँगे,
14. "चखों मज़ा. अपने फ़ितने (उपद्रव) का! यहीं है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे।"
15. निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ों और स्रोतों में होंगे
16. जो कुछ उनके रब ने उन्हें दिया, वे उसे ले रहे होंगे। निस्संदेह वे इससे पहले उत्तमकारों में से थे
17. रातों को थोड़ा ही सोते थे,
18. और वही प्रातः की घड़ियों में क्षमा की प्रार्थना करते थे
19. और उनके मालों में माँगनेवाले और धनहीन का हक़ था
20. और धरती में विश्वास करनेवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है,
21. और ,स्वयं तुम्हारे अपने आप में भी। तो क्या तुम देखते नहीं?
22. और आकाश मे ही तुम्हारी रोज़ी है और वह चीज़ भी जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है
23. अतः सौगन्ध है आकाश और धरती के रब की। निश्चय ही वह सत्य बात है ऐसे ही जैसे तुम बोलते हो
24. क्या इबराईम के प्रतिष्ठित अतिथियों का वृतान्त तुम तक पहँचा?
25. जब वे उसके पास आए तो कहा, "सलाम है तुमपर!" उसने भी कहा, "सलाम है आप लोगों पर भी!" (और जी में कहा) "ये तो अपरिचित लोग हैं।"
26. फिर वह चुपके से अपने घरवालों के पास गया और एक मोटा-ताज़ा बछड़ा (का भूना हुआ मांस) ले आया
27. और उसे उनके सामने पेश किया। कहा, "क्या आप खाते नहीं?"
28. फिर उसने दिल में उनसे डर महसूस किया। उन्होंने कहा, "डरिए नहीं।" और उन्होंने उसे एक ज्ञानवान लड़के की मंगल-सूचना दी
29. इसपर उसकी स्त्री (चकित होकर) आगे बढ़ी और उसने अपना मुँह पीट लिया और कहने लगी, "एक बूढ़ी बाँझ (के यहाँ बच्चा पैदा होगा)!"
30. उन्होंने कहा, "ऐसी ही तेरे रब ने कहा है। निश्चय ही वह बड़ा तत्वदर्शी, ज्ञानवान है।"
31. उसने कहा, "ऐ (अल्लाह के भेजे हुए) दूतों, तुम्हारे सामने क्या मुहिम है?"
32. उन्होंने कहा, "हम एक अपराधी क़ौम की ओर भेजे गए है;
33. "ताकि उनके ऊपर मिट्टी के पत्थर (कंकड़) बरसाएँ,
34. जो आपके रब के यहाँ सीमा का अतिक्रमण करनेवालों के लिए चिन्हित है।"
35. फिर वहाँ जो ईमानवाले थे, उन्हें हमने निकाल लिया;
36. किन्तु हमने वहाँ एक घर के अतिरिक्त मुसलमानों (आज्ञाकारियों) का और कोई घर न पाया
37. इसके पश्चात हमने वहाँ उन लोगों के लिए एक निशानी छोड़ दी, जो दुखद यातना से डरते है
38. और मूसा के वृतान्त में भी (निशानी है) जब हमने फ़िरऔन के पास के स्पष्ट प्रमाण के साथ भेजा,
39. किन्तु उसने अपनी शक्ति के कारण मुँह फेर लिया और कहा, "जादूगर है या दीवाना।"
40. अन्ततः हमने उसे और उसकी सेनाओं को पकड़ लिया और उन्हें गहरे पानी में फेंक दिया, इस दशा में कि वह निन्दनीय था
41. और आद में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि हमने उनपर अशुभ वायु चला दी
42. वह जिस चीज़ पर से गुज़री उसे उसने जीर्ण-शीर्ण करके रख दिया
43. और समुद्र में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि उनसे कहा गया, "एक समय तक मज़े कर लो!"
44. किन्तु उन्होंने अपने रब के आदेश की अवहेलना की; फिर कड़क ने उन्हें आ लिया और वे देखते रहे
45. फिर वे न खड़े ही हो सके और न अपना बचाव ही कर सके
46. और इससे पहले नूह की क़ौम को भी पकड़ा। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग थे
47. आकाश को हमने अपने हाथ के बल से बनाया और हम बड़ी समाई रखनेवाले है
48. और धरती को हमने बिछाया, तो हम क्या ही ख़ूब बिछानेवाले है
49. और हमने हर चीज़ के जोड़े बनाए, ताकि तुम ध्यान दो
50. अतः अल्लाह की ओर दौड़ो। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ
51. और अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य-प्रभु न ठहराओ। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ
52. इसी तरह उन लोगों के पास भी, जो उनसे पहले गुज़र चुके है, जो भी रसूल आया तो उन्होंने बस यही कहा, "जादूगर है या दीवाना!"
53. क्या उन्होंने एक-दूसरे को इसकी वसीयत कर रखी है? नहीं, बल्कि वे है ही सरकश लोग
54. अतः उनसे मुँह फेर लो अब तुमपर कोई मलामत नहीं
55. और याद दिलाते रहो, क्योंकि याद दिलाना ईमानवालों को लाभ पहुँचाता है
56. मैंने तो जिन्नों और मनुष्यों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी बन्दगी करे
57. मैं उनसे कोई रोज़ी नहीं चाहता और न यह चाहता हूँ कि वे मुझे खिलाएँ
58. निश्चय ही अल्लाह ही है रोज़ी देनेवाला, शक्तिशाली, दृढ़
59. अतः जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उनके लिए एक नियत पैमाना है; जैसा उनके साथियों का नियत पैमाना था। अतः वे मुझसे जल्दी न मचाएँ!
60. अतः इनकार करनेवालों के लिए बड़ी खराबी है, उनके उस दिन के कारण जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही है
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