• 1. क्या तुम्हें उस छा जानेवाली की ख़बर पहुँची है?

  • 2. उस दिन कितने ही चेहरे गिरे हुए होंगे,

  • 3. कठिन परिश्रम में पड़े, थके-हारे

  • 4. दहकती आग में प्रवेश करेंगे

  • 5. खौलते हुए स्रोत से पिएँगे,

  • 6. उनके लिए कोई खाना न होगा सिवाय एक प्रकार के ज़री के,

  • 7. जो न पुष्ट करे और न भूख मिटाए

  • 8. उस दिन कितने ही चेहरे प्रफुल्लित और सौम्य होंगे,

  • 9. अपने प्रयास पर प्रसन्न,

  • 10. उच्च जन्नत में,

  • 11. जिसमें कोई व्यर्थ बात न सुनेंगे

  • 12. उसमें स्रोत प्रवाहित होगा,

  • 13. उसमें ऊँची-ऊँची मसनदें होगी,

  • 14. प्याले ढंग से रखे होंगे,

  • 15. क्रम से गाव तकिए लगे होंगे,

  • 16. और हर ओर क़ालीने बिछी होंगी

  • 17. फिर क्या वे ऊँट की ओर नहीं देखते कि कैसा बनाया गया?

  • 18. और आकाश की ओर कि कैसा ऊँचा किया गया?

  • 19. और पहाड़ो की ओर कि कैसे खड़े किए गए?

  • 20. और धरती की ओर कि कैसी बिछाई गई?

  • 21. अच्छा तो नसीहत करो! तुम तो बस एक नसीहत करनेवाले हो

  • 22. तुम उनपर कोई दरोग़ा नही हो

  • 23. किन्तु जिस किसी ने मुँह फेरा और इनकार किया,

  • 24. तो अल्लाह उसे बड़ी यातना देगा

  • 25. निस्संदेह हमारी ओर ही है उनका लौटना,

  • 26. फिर हमारे ही ज़िम्मे है उनका हिसाब लेना

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